बुधवार, अगस्त 11, 2010

अर्जुन उवाच

 अंतत: अर्जुन सिंह ने अपना मुंह खोल ही दिया, पर उन्होंने ऐसा कुछ भी नहीं कहा जो चौंकाने वाला हो। सबको पता था कि वे राजीव गांधी को गुनहगार नहीं ठहराएंगे। उन्होंने  यूनियन कार्बाइड के तत्कालीन प्रमुख वॉरेन एंडरसन को छोड़ने के लिए तत्कालीन केंद्रीय गृहमंत्री नरसिंह राव को कटघरे में खड़ा करके एक बार फिर इंदिरा-राजीव परिवार के प्रति अपनी निष्ठा प्रमाणित करने की नाकाम कोशिश की है। लेकिन एक सवाल अभी भी अनुत्तरित है कि श्री सिंह ने यही बात उस समय क्यों नहीं कही जब पूरे देश में हंगामा बरपा हुआ था?
अर्जुन सिंह ने राज्यसभा में बुधवार को भोपाल गैस त्रासदी संबंधी घटनाक्रमों पर चर्चा में भाग लेते हुए कहा कि यूनियन कार्बाइड के तत्कालीन प्रमुख वॉरेन एंडरसन को छोड़ने के लिए गृह मंत्रालय से कई बार फोन आए थे। साथ ही उन्होंने राजीव गांधी का बचाव करते हुए कहा कि तत्कालीन प्रधानमंत्री राजीव गांधी ने एंडरसन के समर्थन में एक भी शब्द नहीं कहा था। उल्लेखनीय है उस समय गृह मंत्री पीवी नरसिंह राव थे। अर्जुन सिंह ने कहा कि भोपाल की धरती पर कदम रखते ही एंडरसन को गिरफ्तार करने का निर्णय उन्होंने ही किया था। वह चाहते थे कि इस मामले में एंडरसन की गिरफ्तारी हो जाए ताकि उसे उसके खिलाफ मुकदमा चलाने के लिए जरूरत पड़ने पर उसे बुलाया जा सके।
 भोपाल गैस त्रासदी में भोपाल की एक अदालत द्वारा सुनाए गए फैसले के बाद इस पूरे मामले में देश में नए सिरे से बहस छिड़ गई है। यूनियन कार्बाइड कंपनी के तत्कालीन प्रमुख वॉरेन एंडरसन के देश से सुरक्षित निकल जाने के मुद्दे पर कांग्रेस की तत्कालीन केंद्र सरकार और मध्यप्रदेश सरकार पर सवालिया निशान लगाए गए हैं लेकिन अदालत का फैसला आने के बाद अर्जुन सिंह ने बुधवार को पहली बार कोई बयान दिया।

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