तुम्हीं से मुक्ति पानी है तुम्हीं पर है फना होना
यह मुश्किल काम बाँहों में लिपटकर हो नहीं सकता।
अगर दुनिया बदलनी है तो दुनिया से अलग तो आ
यह दिलकश खेल घर दीवार रखकर हो नहीं सकता।
मुसीबत है कि हम अपने को अपनों में तलाशे हैं
यह जाहिर है कि कुछ भी यूँ सिमट कर हो नहीं सकता।
-भगवान सिंह
शनिवार, मई 01, 2010
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