हमारे मित्र दिनेश कुशवाह ने वागर्थ के अक्टूबर अंक में उदय प्रकाश प्रसंग पर, आज भी खुला है अपना घर फूकने का विकल्प, लम्बी कविता क्या लिख दी अब भाई लोग लट्ठ लेकर उन्हीं के पीछे पड़ गये हैं. कुछ लोग लिखकर खिलाफत कर रहें हैं तो कुछ फोन पर गरिया रहे हैं. फ़िलहाल मैं तो बस इतना ही कहूँगा कि तीर निशाने पर लगा है.
आप भी यदि दिनेश कि लानत-मलानत करना चाहते हैं तो देर किस बात कि है, हां लेकिन इसके लिए आपको उनकी कविता तो पढ़नी पढ़ेगी. इसके लिए आपको परेशां होने की जरूरत नहीं. भारतीय भाषा परिषद् की साईट http://www.bharatiyabhashaparishad.com/ पर जाईये और कविता हाजिर.
सोमवार, दिसंबर 28, 2009
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इस नए ब्लॉग के साथ नए वर्ष में हिन्दी ब्लॉग जगत में आपका स्वागत है .. अच्छा लिखते हैं आप .. आपके और आपके परिवार वालों के लिए नववर्ष मंगलमय हो !!
जवाब देंहटाएंइस नए ब्लॉग के साथ नए वर्ष में हिन्दी ब्लॉग जगत में आपका स्वागत है .. अच्छा लिखते हैं आप .. आपके और आपके परिवार वालों के लिए नववर्ष मंगलमय हो !!
जवाब देंहटाएंहिंदी ब्लाग लेखन के लिये स्वागत और बधाई । अन्य ब्लागों को भी पढ़ें और अपनी बहुमूल्य टिप्पणियां देने का कष्ट करें
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